लोकसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी (JJP) में बगावत, प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी छोड़ी, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय और प्रदेश महासचिव ने भी पार्टी छोड़ी
हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी (JJP) में बगावत शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने अभी पार्टी हाईकमान को मौखिक रूप से पार्टी छोड़ने की जानकारी दी है। जल्द ही लिखित इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला को सौपेंगे।
निशान सिंह के कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। दिसंबर 2018 में JJP बनने के साथ ही उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। 2021 और 2023 में JJP के पूरे संगठन में फेरबदल हुआ, लेकिन निशान सिंह को हर बार प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। पार्टी सूत्रों का कहना है कि निशान सिंह पार्टी के सीनियर नेताओं के कुछ फैसलों से सहमत नहीं हैं।
वहीं, हिसार पहुंचे JJP नेता व पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
राष्ट्रीय और प्रदेश महासचिव भी पार्टी से बाहर
उधर, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा ई-मेल के माध्यम से अध्यक्ष अजय चौटाला को भेजा। इस्तीफे में सैनी ने लिखा है, ‘मेरा त्याग पत्र तत्काल प्रभाव से माना जाए।’
इसके साथ ही JJP की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वह 2019 में ही भाजपा को छोड़कर JJP में शामिल हुई थीं।
निशान सिंह के साथ सुरेंद्र लेगा ने JJP को गुड-बाय कहा
इधर, JJP प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र लेगा ने भी पार्टी को गुड-बाय बोल दिया है। सुरेंद्र भी पार्टी छोड़ चुके निशान सिंह के साथ दिखे। उन्होंने कहा कि जो निर्णय निशान लेंगे, वह उनके साथ रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह भी अभी मौखिक रूप से पार्टी छोड़ रहे हैं।
बता दें कि सुरेंद्र लेगा भी इनेलो के टूटने के बाद JJP में शामिल हुए थे, और गठबंधन में सरकार बनने के बाद वह फतेहाबाद जिला अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। पिछले साल JJP ने उन्हें प्रदेश का उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा था।
प्रदेश महिला सचिव ने छोड़ी JJP
फतेहाबाद जिले में JJP को एक और झटका लगा है। पार्टी की प्रदेश महिला सचिव ममता कटारिया ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि दुष्यंत चौटाला ने डिप्टी CM रहते हुए रतिया हलके को बिल्कुल अनदेखा कर दिया। रतिया में कोई काम नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि जब वह फील्ड में जाती थीं तो लोग काम का पूछते थे। उनका कोई काम नहीं हुआ, जिस कारण वह पार्टी छोड़ रही हैं। अभी फिलहाल आगे के लिए कोई फैसला लिया नहीं। पहले वह वर्करों से बात करेंगी।
अब पढ़िए इस्तीफे को लेकर निशान सिंह क्या बोले
निशान सिंह ने कहा कि मैंने मौखिक तौर पर रिजाइन कर दिया है। लिखित में बाद में रिजाइन दूंगा। आगे का निर्णय भाईचारे के साथ बैठकर लूंगा। कई बार आप जिन आशाओं को लेकर आगे बढ़ जाते हैं, कहीं न कहीं बीच में रुकावटें और ब्रेकर आ जाते हैं। जिस कारण आज यह निर्णय करना पड़ा। यह मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा, लेकिन यह एक मजबूरी होती है।
कहीं आपको लगे कि मेरी भावनाओं का हनन हो रहा है तो ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं। मुझे लगता है कि हम सही दिशा में नहीं जा रहे, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। क्योंकि अभी तक तो रेजिग्नेशन भी अधूरा सा है। हमारा जो सिद्धांत सबसे बड़ा धर्म होता है, मेरा धर्म यह कहता है कि हम नहीं चंगे तो बुरा नहीं कोये।
मैं उन पॉलिटिशियन की तरह जल्दबाजी वाला नहीं हूं जो पार्टी छोड़ने पर बुरा भला कहकर सहानुभूति ले। कहा जाता है मित्र को जब छोड़ना है तो उसे मित्रता के भाव से ही छोडि़ए, ताकि मिलें तो शर्मिंदा न हों।
बबली के चक्कर में नहीं लड़ पाए चुनाव
उनके इस्तीफे के पीछे की एक और वजह भी सामने आ रही है। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि निशान सिंह 2000 में टोहाना से विधायक बने थे। उनका कार्यक्षेत्र भी यही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने कांग्रेस से आए देवेंद्र बबली को टिकट दे दिया था, जबकि निशान सिंह यहां से प्रबल दावेदार थे, पार्टी के इस फैसले के कारण निशान सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे, यह टीस उनके मन में लगातार बनी हुई थी।
10 में से 5 विधायक भी चल रहे नाराज
भाजपा से गठबंधन टूटने के साथ ही जजपा में मनमुटाव बढ़ा । 10 में से 5 विधायक नाराज चल रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, ईश्वर सिंह, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सुरजाखेड़ा और रामकुमार गौतम शामिल हैं।
भाजपा सरकार में बदलाव के बाद जब विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त आया तो जजपा ने व्हिप जारी कर विधायकों से सदन में वोटिंग में शामिल न होने को कहा था। इसके बावजूद पांचों विधायक सदन में पहुंचे थे, हालांकि कुछ देर सदन में रहने के बाद वह वापस चले गए थे।


