हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा करोड़पति विधायक हैं। उनके पास करीब 70 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है। सिरसा में करीब ढाई एकड़ में उन्होंने अपना महल बनवा रखा है जिसके अंदर हेलीकॉप्टर उतरने तक की सुविधा उपलब्ध है। इस महल की कीमत करोड़ों में है।कांडा के पिता मुरलीधर कांडा की पृष्ठभूमि RSS की थी। सामान्य परिवार में जन्मे कांडा दसवीं तक पढ़े लिखे हैं। कभी रेडियो रिपेयरिंग का काम किया तो कभी जूतों की दुकान खोली। कांडा ने जूते-चप्पल से हवाई जहाज तक का सफर तय किया और फिर मंत्री बने।
कांडा के करोड़पति बनने का असली सफर साइबर सिटी गुरुग्राम से वर्ष 2000 के आसपास शुरू हुआ। उस समय राज्य में ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की सरकार थी। उस समय कांडा INLD सुप्रीमो चौटाला के बेहद करीब थे। उन्होंने एक सिरसा में तैनात IAS से हाथ मिलाया। कांडा सिरसा में बाबा तारा के भक्त थे। बाबा से आशीर्वाद लेकर वह सिरसा से गुरुग्राम गए।
इस बीच सिरसा में तैनात वह आईएएस अफसर भी गुरुग्राम में हुडा का प्रशासक लग गया। कांडा की अफसर से दोस्ती थी। इसके बाद कांडा ने प्लाटों की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। प्रदेश में उन दिनों इनेलो की सरकार थी। कांडा के राजनेताओं के साथ अच्छे संबंध बन गए थे। आज के समय में गोपाल कांडा का गोवा में बिग डैडी कसीनो चल रहा है।उन्हें गोवा का कैसीनो किंग भी कहा जाता है।
एक समय कांडा का कैसीनो गोवा में समुद्र के अंदर खड़े रहने वाले शिप पर चलता था। गोपाल कांडा की कंपनी मैसर्स गोल्डन ग्लोब होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के इस शिप में उनका कैसीनो रियो चलता था। यह शिप गोवा की मंडोवी नदी में खड़ा रहता था।
बड़े चौटाला को नोटों से तोल कर चर्चा में आए थे कांडा
हरियाणा की राजनीति में गोपाल कांडा उस समय चर्चा में आए, जब 2004 के विधानसभा चुनावों से पहले सिरसा में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को वजन के बराबर नोटों की गड्डियों से शहीद भगत सिंह चौक में तोला। चर्चा थी कि तब 80 लाख रुपए से पूर्व CM तोले गए। तब यह खबर अखबारों में सुर्खियां बनी थी। इस दौरान सिरसा के लोगों को पहली बार कांडा के होने का एहसास हुआ।
2009 में निर्दलीय लड़ा चुनाव, हुड्डा का बन गए खास
2009 के विधानसभा चुनावों में गोपाल कांडा ने सिरसा में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। गोपाल कांडा ने कांग्रेस के उद्योग मंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराया। लक्ष्मण दास अरोड़ा की हार में तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं की भूमिका भी रही, जिन्होंने कांग्रेस के ही प्रदेश स्तरीय नेता के इशारे पर गोपाल कांडा की मदद की। इसके बाद वह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में निर्दलीय विधायकों के सहारे गृह मंत्री बने।
अप्रैल 2010 में कांडा और इनेलो नेता भिड़े
सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद यदि प्रदेश में किसी का राजनीतिक कद था तो वह गोपाल कांडा का था। लेकिन पूर्व सीएम सिरसा में जब भी आते तो इनेलो उसका विरोध करती। इनेलो तब 32 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी दल था।
अप्रैल 2010 में सिरसा में तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनसभा थी। इनेलो नेताओं ने इस पर बाजार बंद करवाने शुरू कर दिए। गोपाल कांडा को इसका पता चला तो वह सिरसा के बाजार में पहुंच गया। इस दौरान गोपाल कांडा की इनेलो नेताओं के साथ बहस हुई और बात मारपीट तक पहुंच गई। कांडा के सुरक्षा गार्डों ने इनेलो नेताओं की धुनाई कर दी। नेताओं के कपड़े तक फट गए थे। इसके बाद बाजार खुल गए।
पिता के नाम पर एयरलाइंस कंपनी खोली
गोपाल कांडा ने फिर 2008 में पिता मुरलीधर लख राम के नाम पर गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस की शुरुआत की। हालांकि, बाद में विवाद होने पर इसे बंद कर दिया। इस दौरान कांडा की करीब 40 दूसरी कंपनियां चलती रहीं।
गीतिका सुसाइड केस में फंसे कांडा
कांडा की एयरलाइंस एमडीएलआर में एयरहोस्टेस गीतिका ने जब सुसाइड किया तो तब प्रदेश में कांग्रेस और दिल्ली में भी कांग्रेस की सरकार थी। कांडा का ताकतवर होना कांग्रेसियों को भी रास नहीं आ रहा था। कांडा एकदम से अर्श पर आकर गिर गए और तिहाड़ जेल में 18 महीने काटे।
2014 में इनेलो के मक्खन लाल से हारे
कांडा को इस केस का नुकसान 2014 के विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा। जब इनेलो ने सिरसा विधानसभा सीट पर उद्योगपति मक्खन लाल सिंगला को चुनाव में उनके खिलाफ उतार दिया। तब कांडा ने अपनी पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी बना ली। कांडा ने प्रदेश की कई सीटों पर उम्मीदवार खड़ा किए, लेकिन गोपाल सिरसा व भाई गोविंद कांडा रानियां से हार गए। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी।
2019 में केवल 602 वोट से जीते कांडा
2019 के विधानसभा चुनावों में गोपाल कांडा के खिलाफ पूर्व मंत्री लछमण दास अरोड़ा का नाती गोकुल सेतिया निर्दलीय चुनाव में उतरा। गोकुल सेतिया को इनेलो का समर्थन था। कड़े मुकाबले में गोकुल सेतिया केवल 602 वोट से गोपाल से हार गए थे। इस चुनाव में गोपाल को एहसास हो गया कि उनके लिए अब राजनीति आसान नहीं।
तारा बाबा के भक्त
कांडा परिवार ने अपने महल के पास ही तारा बाबा कुटिया की स्थापना की। जिसमें हर शिव रात्रि पर पूजा अर्चना होती है। इसके अतिरिक्त कोई न कोई कथा वाचक कुटिया में आकर कथा करते रहते हैं। कांडा तारा बाबा कुटिया में उनके नाम से आंखों का अस्पताल भी चला रहे हैं। जिसमें लोगों का मुफ्त इलाज किया जाता है।