1857 की क्रांति में बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी : आजाद डांगी
गोहाना :-7 नवंबर : गोहाना के पुराना बस अड्डा स्थित शहीद स्मारक पर आजाद हिंद देशभक्त मोर्चा के सदस्यों ने बहादुर शाह जफर का 162 वां बलिदान दिवस मनाया। उन्होंने बहादुरशाह जफर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्य वक्ता आजाद हिन्द देश भक्त मोर्चे के मुख्य संरक्ष्क़ आजाद सिंह डांगी ने कहा कि बहादुर शाह जफर ने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत वर्ष के तमाम राजा महाराजाओं ने उन्हें अपना सम्राट मान लिया था | अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को 1857 की क्रांति का दोषी ठहराया था और उनको कैद कर दिल्ली से रंगून भेज दिया था। अंग्रेजों ने उनके खानदान के 29 व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया था।रंगून की जेल में ही बहादुरशाह जफर ने अंतिम सांस ली थी।
श्रद्धांजलि समारोह के विशिष्ट अतिथि पिछड़ा एवं अनुसूचित समाज के अध्यक्ष ने कहा अंग्रेजों ने जुल्म की सभी हदें पार कर दी जब बहादुर शाह जफर को भूख लगी तो उन्होंने उनके सामने थाली में परोश कर उनके बेटों के सिर ले आए उन्होंने अंग्रेजों को जवाब दिया कि हिंदुस्तान के बेटे देश के लिए सिर कुर्बान कर अपने बाप के पास इसी अंदाज में आया करते हैं
श्रद्धांजलि समारोह के अध्यक्षता हरियाणा मुस्लिम समाज के प्रवक्ता गुलाब खान ने की तथा उन्होंने बताया कि कहा जाता है रंगून में कारावास के दौरान अपनी आखिरी सांस लेते समय बहादुर शाह जफर के लबों पर उनकी ही मशहूर ग़ज़ल का यह शेर रहा होगा। कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए दो गज जमीन भी नहीं मिल सकी 7 नवंबर 1862को उनकी मौत हो गई |
श्रद्धांजलि समारोह का मार्गदर्शन मोर्चे के डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश सेतिया ने किया इस मौके पर सतबीर पौडिया, सुरेश पवार, मदनलाल अत्रि, रमेश शर्मा, कश्मीरी लाल बावा, अनिल कुमार, शमशेर सिंह, रामचंद्र तथा उधम सिंह आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे |